मुख्यमंत्री माईया सम्मान योजना झारखंड राज्य सरकार द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण और आर्थिक सहायता के उद्देश्य से शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल है। इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को ₹2,500 की मासिक सहायता राशि सीधे उनके बैंक खातों में प्रदान की जाती है। यह योजना विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और जिन्हें वित्तीय सहायता की आवश्यकता है।
योजना का उद्देश्य
- महिलाओं का सशक्तिकरण: महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना।
- सामाजिक सुरक्षा: आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- स्वावलंबन की ओर कदम: महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना।
पात्रता मानदंड
- आयु सीमा: महिला की आयु 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
- आर्थिक स्थिति: महिला का परिवार बीपीएल (Below Poverty Line) श्रेणी में होना चाहिए।
- निवास: महिला झारखंड राज्य की स्थायी निवासी होनी चाहिए।
आवेदन प्रक्रिया
- ऑनलाइन आवेदन: महिला एवं बाल विकास विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन फॉर्म भरें।
- दस्तावेज़ अपलोड: आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेज़ अपलोड करें:
- आधार कार्ड
- राशन कार्ड
- बैंक खाता विवरण
- निवास प्रमाण पत्र
- आवेदन सबमिट करें: सभी जानकारी और दस्तावेज़ भरने के बाद आवेदन फॉर्म सबमिट करें।
लाभ
- मासिक सहायता: प्रत्येक पात्र महिला को ₹2,500 की मासिक सहायता राशि दी जाती है।
- सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर: यह राशि सीधे महिला के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है।
- स्वावलंबन की दिशा में कदम: यह राशि महिला को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करती है।
योजना की स्थिति और अपडेट्स
झारखंड सरकार समय-समय पर इस योजना के तहत किश्तों का वितरण करती है। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, योजना के तहत दी जाने वाली राशि में बदलाव किया गया है। पहले जहां महिलाओं को ₹5,000 की राशि दी जाती थी, वहीं अब यह राशि ₹2,500 कर दी गई है। इस बदलाव के बावजूद, योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करना और उन्हें सशक्त बनाना है।

योजना की सफलता और प्रभाव
मुख्यमंत्री माईया सम्मान योजना ने झारखंड राज्य में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस योजना के माध्यम से हजारों महिलाओं को आर्थिक सहायता प्राप्त हुई है, जिससे उनकी जीवनशैली में सुधार आया है। इसके अलावा, यह योजना महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करती है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।